मैं अब्दुल समद (शाह सुल्तान समद) भारतीय प्रशासनिक सेवा का सदस्य हूँ। भारतीय प्रशासनिक सेवा का सदस्य एवं भारतीय होने के नाते मुझे अपने पर गर्व होता है। भारत भूमि में जन्म लेकर मैं धन्य हो गया हूँ। विष्णु पुराण के अनुसार “धन्य हैं वे लोग जो भारत भूमि में पैदा हुए हैं। भारत भूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है, क्योंकि यहाँ स्वर्ग के साथ-साथ मोक्ष की भी साधना होती है। देवता भी स्वर्ग का सुख भोग लेने के बाद मोक्ष की साधना के हेतु भारत में पुनः जन्म लेते हैं।
वसुधैव-क़ुटुम्बकम (महोपनिषद्), सत्यमेव-जयते (मुण्डकोपनिषद), चरैवेति-चरैवेति (ऐतरेय ब्राह्मण), ॐ असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतं गमय, ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः (बृहदारण्यकोपनिषद्), अहिंसा परमोधर्मः, सर्वे भवन्तु सुखिनः (वृहदारण्यक उपनिषद), रहमतुल्लिल आलमीन, रब्बुल आलमीन व अशरफुल मखलूक़ात, जैसे विचार व सिद्धांत हमारी प्रेरणा एवं आदर्श हैं।
मैं मात्र एक व्यक्ति नहीं बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र की अभिव्यक्ति हूँ। मैं संकीर्ण नहीं विराट हूँ। मैं सत्य, अहिंसा, सदाचार, साहस, पराक्रम, राष्ट्रीयता, दूरदर्शिता, मानवता, विनयशीलता, संयम, संतोष, तप, कर्म एवं पुरुषार्थ का जीवंत प्रतिनिधि हूँ। मैं उत्कट राष्ट्रवादी हूँ। राष्ट्र ही मेरा सर्वस्व है। राष्ट्र की आन-बान-शान के लिए मेरा सर्वस्व समर्पित एवं न्यौछावर है। धरती जैसा धैर्य, अग्नि जैसा तेज़, वायु जैसा वेग, जल जैसी शीतलता, आकाश जैसी विराटता, मेरे व्यक्तित्व की शोभा बढ़ाते हैं। मेरे पूर्वजों, माता-पिता, गुरुजन, मित्रों का आशीर्वाद एवं सहयोग मेरा कवच एवं संबल है।
आशावाद, दृढ़-निश्चय, ज़िद, सकारात्मकता, धैर्य, साहस एवं परिश्रम मेरे चरित्र की विशेषताएँ हैं। समस्त भारत वासियों को एकता के सूत्र में आबध्य करना, उनके बीच प्रेम एवं सौहार्द बनाये रखना, निर्बल असहाय विकलांग एवं दीन-दुखियों के चेहरे पर मुस्कान लाना, महिलाओं के प्रति आदर एवं सम्मान का भाव रखना, राष्ट्र को विकसित एवं समृद्ध बनाना, जन-कल्याणकारी कार्य करना एवं बेज़ुबानों की ज़ुबान बनना, हमारा मक़सद एवं उद्देश्य है। समाज से अस्पृश्यता, ऊँच-नींच, अँगड़ा-पिछड़ा, भेद-भाव, क्षेत्रवाद, भाई-भतीजावाद को समाप्त करना हमारा लक्ष्य है।
अब्दुल समद (शाह सुल्तान समद), IAS